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मध्य प्रदेश के ग्वालियर हाईकोर्ट एकलपीठ ने एक बड़ा फैसला सुनाया मनमानी धाराएं लगाकर लोगों को डराने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अब होगी कार्रवाई
1 मार्च 2018 को नवल सिंह निवासी गंजवासौदा दुर्घटना में घायल हो गया था। पुलिस ने उसे अज्ञात व्यक्ति के रूप में अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन पुलिस ने तथ्य को छिपाते हुए नवल के बेटे के बयान दर्ज कर लिए और पुलिस ने उसे बताया कि रास्त में कुछ अज्ञात लोग नवल सिंह को पीट रहे थे, जिससे वह घायल हो गया। हालत गंभीर होने के बाद विदिशा व फिर भोपाल अस्पताल में भर्ती कराया, जहां नवल सिंह की मौत हो गई। उसका अंतिम संस्कार करा दिया, लेकिन पुलिस ने गोलु व देवेन्द्र कुमार के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया। इसके बाद गोलू ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका पेश की.
जब नवल के घरवाले मिल गए तो उसका शव उन्हें सुपुर्द करना था। गोलू को पुलिस ने फर्जी तरीके से फंसाया है और दुर्घटना के केस को हत्या में तब्दील कर दिया गया। हाईकोर्ट ने आरोपित गोलू को जमानत रिहा करने का आदेश दिया, लेकिन केस के जांच अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज कर थाना प्रभारी को जांच के आदेश दिए हैं। थाना प्रभारी रिपोर्ट प्रिसिंपल रजिस्ट्रार के यहां पेश करें। साथ ही डायरी को सीज कर दिया गया।
उन्हें जेल भेज दिया था अभी-अभी हुई एक प्रेस वार्ता में नितिन, शेखर, सोनू ने खुलासा किया और पीड़ा मीडिया के सामने बताई। इस षड्यंत्र में फसाये गए पीड़ितों का कहना है कि पुलिस प्रशासन तंत्र का अवैध वसूली के लिए गलत इस्तेमाल कर रही है यह देश और समाज के लिए घातक है खतरनाक है