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आरोप है कि गैस पीड़ितों पर भी ट्रायल किया गया. बस्तियों के वॉलंटियर में से बड़ी संख्या में गैस पीड़ित हैं, जिन्हें पहले से ही कई तरह की बीमारियां हैं.
भोपाल: कोवैक्सीन का ट्रायल डोज लेने वालों को भूख न लगना, चक्कर आना, सिर दर्द, आंसू आना, कमर दर्द, वजन कम होना और पेट दर्द समेत कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इस बात को सामने रखने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा ने रविवार को बाकायदा मीडिया से चर्चा की और कई पीड़ितों को सामने किया.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रचना ढींगरा ने आरोप लगाए कि गैस पीड़ितों पर भी ट्रायल किया गया. बस्तियों के वॉलंटियर में से बड़ी संख्या में गैस पीड़ित हैं, जिन्हें पहले से ही कई तरह की बीमारियां हैं. इस दौरान पीपुल्स अस्पताल में हुए वैक्सीन ट्रायल में शामिल वॉलंटियर अब अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. इस दौरान 70 वर्षीय मानसिंह परमार ने पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें अस्पताल प्रबंधन ने कुछ नहीं बताया था. उनसे बस इतना कहा गया कि इंजेक्शन लगने के बाद कोरोना नहीं होगा.
गरीब बस्तियों के 600 लोगों को लगे टीके
परमार ने बताया कि अस्पताल में टीका लगाने के बाद उन्हें बुकलेट दी गई थी. और कहा गया था कि अगर कोई बीमारी हो, तो इसमें लिख देना. परमार का कहना है कि उन्हें पढ़ना ही नहीं आता. अगर वे बताते कि यह कोरोना का टीका नहीं है, तो वह लगवाते ही नहीं. रचना ने बताया कि पीपुल्स अस्पताल के आसपास की करीब 6 गरीब बस्तियों से 600 से अधिक लोगों को टीका लगाया गया.
डोज के बाद कोरोना रिपोर्ट आई पॉजिटिव, अस्पताल ने चलता कर दिया
शंकर नगर के गोलू दास ने आरोप लगाया कि पहले डोज लगवाने के बाद उनकी कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. अस्पताल ने बाहर की दवा लिखकर चलता कर दिया. उन्हें दूसरा टीका भी नहीं लगाया गया. बाद में अस्पताल प्रबंधन ने बुलाया और वीडियो बनवाया. वह बुलवाना चाह रहे थे कि अस्पताल उनके लिए सब कुछ कर रहा है. दवाई और इलाज भी करवा रहा है. इस दौरान यह आरोप भी लगाया गया कि एक ही घर के कई लोगों पर ट्रायल किया गया.
डोज के बाद ये आ रही समस्याएं
पीड़ितों ने बताया, टीका लगने के बाद भूख नहीं लगना, चक्कर आना, सिर दर्द, आंसू आना, कमर दर्द, वजन कम होना और पेट दर्द समेत अन्य समस्या की शिकायतें हो रही हैं.